विश्व तपेदिक दिवस २०१७ की पूर्व संध्या पर, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने दवा प्रतिरोधी तपेदिक के लिए नई तपेदिक-रोधी दवा, बेडाक्विलीन का शुभारंभ किया। उन्होंने टीबी इंडिया २०१६ की वार्षिक रिपोर्ट और भारत में तपेदिक नियंत्रण के लिए तकनीकी और परिचालन दिशानिर्देश २०१६ को भी जारी किया। ये दिशानिर्देश मुख्य रूप से सभी किस्म के तपेदिक के प्रबंधन पर केंद्रित हैं जिनमें अधिक रोगी केंद्रित दृष्टिकोण पर ध्यान देना; और एचआईवी और टीबी दोनों से पीड़ित रोगियों के लिए एक ही खिड़की से दोनों रोगों के लिए देखभाल (सिंगल-विंडो केयर) उपलब्ध कराना शामिल हैं। दो अन्य ई-बुक्स भी लॉन्च की गईं- 'हेल्थकेयर वर्कर सर्विलांस फॉर टीबी इन इंडिया' (भारत में तपेदिक के लिए स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों द्वारा निगरानी) के लिए एक पुस्तिका (हैंडबुक) और तपेदिक-रोधी दवाओं से जुड़ी प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं की रोकथाम और प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश। इसके अलावा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा एक नया रेडियो कैंपेन और एक सोशल मीडिया कैंपेन भी शुरू किया गया। भारत का संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) उचित अवलोकन, निगरानी, जांच और उपचार के माध्यम से तपेदिक के उन्मूलन में सबसे महत्वपूर्ण और सफल कार्यक्रमों में से एक रहा है। सरकार का मुख्य ध्यान टीबी से पीड़ित रोगियों का निदान (डायग्नोस्टिक्स) करने और नए शोध के लिए नए उपकरण विकसित करके गुणवत्तापूर्ण उपचार प्रदान करने पर है। हालांकि, रास्ता लंबा है क्योंकि बेहतर बुनियादी ढांचे और बढ़ते निवेश की तत्काल आवश्यकता है। सरकार टीबी के इलाज और रोकथाम की दिशा में अपने प्रयासों को तेज़ कर रही है जो टीबी की घातक बीमारी को भारत से पूरी तरह से खत्म करने में मदद करेगा। सरकार की नई स्वास्थ्य नीति २०१७ का उद्देश्य न केवल सभी को "आश्वस्त तरीके" से स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए सार्वजनिक वित्तपोषण के स्तर में वृद्धि की आवश्यकता को भी स्वीकार करती है। इस नीति के प्रमुख लक्ष्यों में से एक है तपेदिक के लिए नए थूक के सकारात्मक (न्यू स्प्युटम पॉज़िटिव) रोगियों में ८५ प्रतिशत से अधिक की इलाज दर हासिल करना और बनाए रखना और नए मामलों की घटनाओं को कम करना ताकि २०२५ तक उन्मूलन की स्थिति तक पहुंचा जा सके इसलिए निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी के साथ सक्रिय मामलों का पता लगाना इस समय की ज़रूरत है। कार्यस्थल और रहन-सहन की दशाओं में निवारक कार्रवाई और मुफ्त दवाओं तक पहुंच से ये जल्दी हासिल हो सकता है। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सकारात्मक कार्रवाई यह सुनिश्चित करेगी कि उपचार ठीक से किया जा रहा है।
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६ से २८ अक्टूबर २०१७ के बीच भारत में पहली बार होने जा रहे फीफा अंडर -१७ विश्व कप फुटबॉल के लिए, सरकार भारतीय युवाओं के बीच एक लोकप्रिय खेल के रूप में फुटबॉल को बढ़ावा देने और अधिक बच्चों को फुटबॉल खेल से जोड़ने के लिए उत्सुक है। फरवरी २०१७ में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए मिशन इलेवन मिलियन का उद्देश्य अक्टूबर २०१७ तक ११ मिलियन बच्चों को फुटबॉल में प्रशिक्षित करना है। इस पहल के, जिसे सबसे बड़े स्कूल आउटरीच कार्यक्रम के रूप में माना जाता है, सभी 29 राज्यों में 32 से अधिक शहरों में 12,000 स्कूलों तक पहुंचने की उम्मीद है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की खेलों में गहरी रुचि और फुटबॉल को एक लोकप्रिय खेल के रूप में विकसित करने के उनके दृष्टिकोण ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की है, जो देश के सभी हिस्सों के युवाओं को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तर पर फुटबॉल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने में सक्षम बनाएगा। प्रधान मंत्री ने कई बार अपने भाषणों में और साथ ही अपने मन की बात के माध्यम से, युवाओं में खेल खेलने के लिए रुचि पैदा करने के महत्व का उल्लेख किया है। २७ मार्च २०१६ को प्रसारित अपने मन की बात कार्यक्रम में, उन्होंने स्पष्ट रूप से भारत के युवाओं के बीच फुटबॉल को बढ़ावा देने की आवश्यकता का और अपनी इस इच्छा का भी उल्लेख किया था कि "देश के हर नुक्कड़ और कोने में फुटबॉल खेला जाए।" यह खेल को बढ़ावा देने के लिए उनकी दूरदर्शिता ही है जिसे मिशन XI मिलियन पहल द्वारा युवा मामलों और खेल मंत्रालय द्वारा आगे बढ़ाया गया जिससे भारत के सभी हिस्सों में फुटबॉल की पहुंच का विस्तार होगा और आने वाले वर्षों में युवाओं के बीच यह खेल प्रमुखता हासिल करेगा। ग्रामीण भारत को फुटबॉल खेलने और विश्व स्तरीय फुटबॉल स्पर्धाओं के लिए प्रशिक्षित होने का अवसर भी मिलेगा। इसके अलावा, इस तरह की पहल से प्रतिभा समूह में भी वृद्धि होगी जो देश के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इसका उद्देश्य न केवल अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट जीतकर भारत का सम्मान बढ़ाना है, बल्कि एक ऐसे समाज का विकास करना है जो खेल और खेल के माध्यम से सक्रिय और स्वस्थ जीवन शैली को अपनाता है। फुटबॉल जैसे खेल अंततः भारत के युवाओं को टीम वर्क के महत्व को जानने और खेल भावना का विकास करने में मदद करेंगे। इसके लिए सरकार की स्कूल के प्रधानाचार्य, खेल शिक्षक और बच्चों के माता-पिता के साथ मिलकर काम करने की और उन्हें अपने बच्चों को नियमित रूप से फुटबॉल खेलने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना है। फीफा अंडर -१७ विश्व कप के लिए एक प्रस्तावना के रूप में, फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सितंबर २०१७ तक शिक्षकों के लिए सेमिनार, स्कूल-स्तरीय कार्यक्रम और फुटबॉल समारोह आदि किया जाना शामिल हैं। देश में एक खेल संस्कृति विकसित करने के अलावा; भारतीय युवाओं को फुटबॉल के अधिक करीब लाना और इसे "पसंद का खेल" बनाना मिशन XI मिलियन जैसे कार्यक्रम के पीछे प्राथमिक लक्ष्य रहा है। अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में भारत की संभावनाओं को बेहतर बनाने और विभिन्न खेल श्रेणियों में देश को पदक दिलाने की दिशा में खेलो इंडिया कार्यक्रम, टार्गेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टीओपीएस) और ओलंपिक टास्क फोर्स कमिटी जैसी कई पहल शामिल हैं। सरकार फीफा अंडर -१७ विश्व कप फुटबॉल को अपने खेल इतिहास में एक मील के पत्थर के रूप में प्राथमिकता दे रही है क्योंकि यह भारत के लिए एक सुनहरा अवसर है कि वह दुनिया को अपनी विश्व स्तर की बुनियादी सुविधाओं को विकसित करने की क्षमता और अंतर्राष्ट्रीय कद के खेल कार्यक्रमों को आयोजित करने की क्षमता दिखाए। अपने बुनियादी ढांचे में वृद्धि करके और प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में युवाओं की भागीदारी बढ़ाकर, अपने युवाओं को सशक्त बनाने और उन्हें फुटबॉल जैसे अंतरराष्ट्रीय खेल खेलने के लिए तैयार करके भारत खेल के क्षेत्र में एक बड़ी ताक़त बनने की उम्मीद कर सकता है।
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शहरी शासन, योजना बनाने और वित्तपोषण के पुरातन तरीकों को पीछे छोड़ना। तर्काधार पिछले ढाई वर्षों में, शहरी विकास मंत्रालय (MoUD) ने शहरी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार और शहरी बुनियादी ढांचे से जुड़े घाटे को कम करने के लिए कई प्रमुख मिशन शुरू किए गए हैं। शहरों का सीमित राजस्व और उनकी सीमित क्षमता प्रमुख चुनौतियों में से एक हैं। वैल्यू कैप्चर फाइनेंस (वीसीएफ) एक नवीन शहरी-विकास वित्तपोषण और राजस्व उगाही का साधन है। अर्थ ज़मीन की कीमत और सार्वजनिक निवेश और नीतिगत पहल के परिणामस्वरूप अन्य संपत्तियों जैसे भवनों के मूल्य में वृद्धि के एक भाग से लाभ उठाकर, वीसीएफ राज्यों और शहर की सरकारों को संसाधन जुटाने में सक्षम बनाने का प्रयास करता है।